Wednesday, May 12, 2010

लाला बजरंगीलाल

एक मन लड्डू सौ मन सत्तू ,
खाते लाला बजरंगीलाल  |
इसीलिए लाला की देखो , 
तोंद हो गयी ढोलम ढाल   |

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर बाल कविता!

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