Tuesday, May 11, 2010

गाड़ी -गाड़ी

रानी बिटिया पापा से ,
एक दिवस बोली आकर |
पापा मम्मी बच्चों सब ,
खेलें गाड़ी -गाड़ी मिलकर  |
मम्मी मेरी गार्ड बनेगीं ,
पापा बन जायेंगे इंजन  |
सब बच्चों बन जाओ सवारी ,
हम सब घूमेंगें लन्दन  |

2 comments:

  1. बहुत मासूमियत झलक रही है इस शब्दों की माला में ....सुन्दर रचना ....अच्छी कविता

    http://athaah.blogspot.com/

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